Chhattisgarh News: चुनावी साल में बीजेपी को तगड़ा झटका, आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने छोड़ा साथ

रायपुर/नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ में बीजेपी को चुनावी वर्ष में जोर का झटका धीरे से लगा है. राज्य के बड़े आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने अपने खिलाफ साजिश और छवि खराब करने का बड़ा आरोप भी लगाया है. आदिवासी नेता नंदकुमार साय का जाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका इसलिए भी है, क्योंकि पार्टी बस्तर के रास्ते फिर से सत्ता तक पहुंचने का रास्ता बना रही है. पार्टी के राज्य प्रभारी ओम माथुर भी राज्य में डेरा डाले हुए हैं. वे बस्तर पर भी ध्यान दे रहे हैं. ओम माथुर की मौजूदगी में नंदकुमार का जाना पार्टी के लिए बड़ी हानि है.

फरवरी 2020 को जनजातीय आयोग का अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद से ही नंदकुमार साय के पास कोई अहम पद नहीं है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है उन्होंने तवज्जो नहीं मिलने से आहत होकर इस्तीफा दिया है. वैसे नंदकुमार ने रमन सिंह सरकार के दौरान भी कई बार पार्टी और सरकार को परेशानी में डाला था. आदिवासियों के लिए सरकार की नीतियों या फैसलों को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं. अब उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देकर पार्टी के साथ अपना चार दशक से पुराना नाता तोड़ दिया है. इससे कांग्रेस की बांछे खिल गई हैं. कयास लगाए जा रहे हैं साय कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. कांग्रेस बीजेपी में उनकी उपेक्षा को आदिवासियों के बीच में रखकर अपनी पकड़ को मजबूत भी कर सकती है.

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दो बार सांसद, तीन बार विधायक रहे साय
गौरतलब है कि साय दो बार लोकसभा सांसद और तीन बार विधायक रह चुके हैं. नंदकुमार साय अविभाजित मध्य प्रदेश में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता नंदकुमार साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे. इसके बाद 1980 में बीजेपी के रायगढ़ जिला प्रमुख बने थे और 1985 में तपकरा सीट से बीजेपी विधायक चुने गए थे.

एमपी बीजेपी प्रमुख भी रह चुके साय
इसके बाद 1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य भी बने थे. वर्ष 2003-05 तक छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई थी. इससे पहले वर्ष 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश बीजेपी प्रमुख का दायित्व भी नंदकुमार साय के पास रहा था. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रति पक्ष का पद भी नंदकुमार साय के पास ही रहा है.

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